अभिनन्दन-पत्र
श्रीमान् माधवलाल जाट,
‘‘प्रधानाचार्य’’
रा.उ.मा.वि. सोनियाना (भदेसर) चित्तौड़गढ़
वीणा पाणी का लाड़ला, शब्द शिल्पी, नाद-ब्रह्म का अनन्य उपासक, शब्द
कोष का सिद्ध साधक, स्वर रसायन का सुविख्यात ज्ञाता चित्तौड़गढ़ जिले की तह. निम्बाहेड़ा का गांव- धनोरा की मिट्टी का यह पुरूषार्थी दीपक जो लक्ष्य की बाती और श्रमबारी के तेल से ऐसे शुभ मुहूर्त में प्रज्वलित हुआ कि जिसका उजाला हर पल इस तरह बढ़ता रहा कि बहिन ख्याली, भगवती और केसर का भाई, कृषक कुलश्रेष्ठ श्री भूरालाल जी जाट एवं जड़ाव बाई का लाखीणा हीरा, कस्तूरी बाई की कन्या बद्रीदेवी का जीवन साथी श्री माधवलाल आज मेवाड़ांचल में आंग्ल भाषा विशेषज्ञों की जमात का वो लाजवाब कोहिनूर है जिसने राजकीय सेवाकाल में हजारों की तादाद में भटकते जुगनूओं को बेहतरीन तालीम और अपने रूहानी नूर से सराबोर करते हुए तरक्की की राहांे पर मंजिल की ओर दौड़ना सीखा दिया।
सेवारम्भ सन् 1977
Madhav Lal Jat
दिनांक 01.08.1954 को जन्मे शिक्षाविद् श्री माधवलाल जी ने प्राथमिक शिक्षा गांव आसावरा माता में अपने भुआजी एवं फूफाजी गंगाबाई- सोलालजी एवं नौजीबाई-पोखरजी के पास रहकर एवं माध्यमिक शिक्षा भदेसर से प्राप्त कर उच्च शिक्षा हेतु शक्ति -भक्ति की पावन नगरी चित्तौड़गढ़ के गवर्नमेन्ट एम. पी . काॅलेज से सन् 1975 में अंग्रेजी विषय के साथ स्नातक और बी.एड. काॅलेज डबोक (उदयपुर) से सन् 1976 में बी.एड. की उपाधि प्राप्त की।
सौभाग्यरूपी अतिथि के आगमन की चिरप्रतीक्षा में श्री जाट प्रतिदिन राह देखा करते थे। आखिरकार एक दिन 19.12.1977 को पोस्टमेन की पौशाक में अचानक एक देवदूत आया, उन्होंने व. अ. (अंग्रेजी) पद का नियुक्ति आदेश देते हुए भीलवाड़ा जिलान्तर्गत रा.मा.वि. चितांबा की ओर तर्जनी से ंसंकेत किया। चितांबा, कुलथाना, चिकारड़ा, फलवा में 13 वर्षों तलक मुक्तकण्ठ से आंग्ल भाषामृत बाँटते हुए सतत् अध्ययनशील रहते हुए यह विलक्षण व्यक्तित्व सन् 1981 में स्वंयपाठी के रूप में राजस्थान विश्वविद्यालय से एम. ए. (अंग्रेजी साहित्य) की उपाधि प्राप्त करता हुआ शिक्षा-सदन के उच्च सोपानों की ओर बढ़ता ही रहा। जिसका सुखद परिणाम यह रहा है कि दिनांक 02.04.1989 को प्राध्यापक अंग्रेजी के पद पर पदोन्नत होकर रा.उ.मा. वि. भदेसर पधारें। अभी वहां पंच वर्षीय योजना पूर्ण हुई ही नहीं थी कि खुशनसीबी ने इस मेहनतकश इंसान के दरवाजे पर आकर आर.पी.एस.सी. से प्रधानाध्यापक पद पर चयनित होने की खुशखबरी दी और आपने रा.मा.वि. साड़ास से प्रशासनिक सेवा की शुरूआत की ।
साड़ास, अरनियाजोशी, लसड़ावन, सोनियाना, काटुन्दा और सुरपुर आदि स्थानों पर 12 वर्षो का एक जुग बीताते हुए दिनांक16.08.2007 को अग्रिम पदोन्नति पाकर आप प्रधानाचार्य रा.उ.मा.वि.विजयपुर पधारे, जहां से एक सत्र उपरान्त आपका दिनांक 08.09.2008 को स्थानान्तरण रा.उ.मा.वि. सोनियाना (भदेसर) हुआ। जहां 6 वर्षो तक सराहनीय सेवाओं के लिए सुविख्यात हुए।
तालीम की दुनिया में होने वाले हर ईजाद को उसकी जरूरत और बारीकियों को बड़े इत्मीनान से समझने वाला हर मुनासिब जानकारियों और तब्दीलियों का तलबगार यह शानदार मुसाफिर आज भी तरक्की की राह पर हर रोज दो कदम आगे बढ़ने का हौंसला रखता है। इसी तरहां की दिमागी मशक्कत करते हुए अपने हुनर के खज़ाने में इज़ाफा करने के वास्ते आपने 1987 में पी.जी.सी.टी.ई. (अंग्रेजी) का कोर्स लखनऊ से और 1993 में पी.जी.डी.टी.ई. (अंग्रेजी ) का डिप्लोमा कोर्स हैदराबाद से किया। सन् 2010 में यूकेरी दिल्ली में अंग्रेजी शिक्षण एवं प्रशासनिक कुशलताओं में अभिवृद्धि हेतु आयोजित कार्यक्रमान्तर्गत आपने राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाचार्य वाक्पीठ में आपने अध्यक्षीय पद को भी सुशोभित किया। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर की अंग्रेजी विषय की पाठ्यपुस्तकों के अध्यापन कार्य के साथ-साथ सम्पादन कार्य भी किया, जो सम्पूर्ण मित्र-मण्डली के लिए गौरव का विषय है ।
सेवानिवृत्ति सन् 2014Madhav Lal Jat
निजी पुस्तकालय में सतत् अध्ययनशील और मुक्त कण्ठ से माँ भारती का विद्या-धन बाँटनेवाले इस अथक कर्मवीर ने बरसों तलक पूर्ण मनोयोग से पढ़ाने का पुनीत कार्य किया। पूर्णतः भय मुक्त, अनुशासित एवं हास्यमय शैक्षिक वातावरण से कक्षा-कक्ष में ‘‘ नो बोर, वन्स मोर’’ की ध्वनियां समय-समय पर प्रतिध्वनित होती रहती थी। जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षणों में आप द्वारा दी गई विजय मंत्रों की पतवारों से न जाने कितनी नौकाएं पार हुई। आपके सरल, सहज, हंसमुख, आकर्षक और मेहनती मिज़ाज ने हजारों मुरझाए हुए फूलों को तालीम और तरक्की की रौनक दे ताजिन्दगी खुशबूदार बना दिया।
यूँ तां कारवां हर रोज आगे बढ़ता ही रहा मगर समय की सुईयां 36 वर्ष 7 माह का सफर पूरा कर आज इस जांबाज को लवाजमें से विदा करती हुई खामोशी के लब्जों में पसीना पौछंते हुए अब अपने घर-आंगन में कुनबे के साथ कुछ गहरे आराम की हिदायते देती है, जहां बड़ी बेताबी से इन्तजार कर रही राजेश-निर्मला, जे.पी.-ज्योतिर्मय, मंजू-देवीलाल जी, अंजना-रतनलाल जी, स्नेहलता-उदयलाल जी की गुलाब सी वे शबनमी आँखें जिनकी कहीं लम्बी-लम्बी दास्ताने तो कहीं बड़े-बड़े अफसाने हंै।
सेवानिवृत्ति के बाद आपका ज्यादातर वक्त देवोपासना, पठन-पाठन, चिंतन-मनन, लेखन-सृजन, समाज सेवा-राष्ट्र सेवा इत्यादि अनेकानेक कार्यक्रमों में व्यतीत हो, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ समस्त आत्मीय जनों की ओर से आपको पुनश्च कोटि-कोटि प्रणाम।
दिनांक: 31.07.2014
श्रद्धावनत -
विद्यालय परिवार
रा.उ.मा.वि., सोनियाना (भदेसर)
जिला-चित्तौड़गढ़